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फलों व सब्जियों पर केमिकल्स का कहर

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वर्तमान समय में फलों व सब्जियों पर केमिकल्स का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है जिससे ये हमारे स्वाथ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। हरी सब्जियों व फलों को सदैव से बेहतर स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता रहा है। लेकिन रसायनों का प्रकोप इन पर इस कदर बढ़ गया कि अब ये भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं। फल और सब्जियों में रसायनों का प्रयोग उपभोक्ताओं को जहर देने के समान है।

कैसे आए फलों व सब्जियों में यह रसायन ?

यह जहरीले केमिकल्स स्वतः इन फलों व सब्जियों में नहीं आए। अत्यधिक और किसी भी कीमत पर मुनाफा कमाने के लोभ व लालच ने इनकी यह हालत कर दी है।

आखिर इनका प्रयोग क्यों किया जा रहा है?

फलों व सब्जियों को जल्दी बड़ा बनाने, पकाने, सुंदर, ताजा , चमकदार दिखने, सड़ने से बचाने, रंगने आदि में घातक रसायनों का प्रयोग किया जा रहा है जिसने न केवल इनके पोषक तत्वों को नष्ट कर दिया है बल्कि इन्हें जहरीला भी बना दिया है ।

आप बड़े सुंदर, चमकदार व ताजे फलों और सब्जियों को देखकर उनसे प्रभावित न हों क्योंकि अधिकतर इन्हें घातक रसायनों का प्रयोग कर नकली तरीके से बनाया जाता है।

सामान्यतया प्रयोग होने वाले घातक रसायन

पहला

ऑक्सीटॉसिन सब्जियों का आकार बढ़ाने के काम आता है जिससे अधिक मुनाफा मिलता है।
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दूसरा

कैल्शियम कार्बाइड का प्रयोग फलों को समय से पहले पकाने के लिए किया जाता है ।

तीसरा

मेलाथियान बासी सब्जियों को मेलाथियान के घोल में 10 मिनट डाला जाता है ताकि वह 24 घंटे तक ताजा रहे ।

चौथा

कॉपर सल्फेट, रोडामाइन ऑक्साइड, मालाचाइट का प्रयोग फल व सब्जियों को रंगने व ताजा बनाए रखने के लिए किया जाता है।

पांचवां

मोम, रंग, तेल व जला हुआ मोबिल ऑयल लगाकर सब्जियों को ताजा आकर्षक व चमकदार दिखाया जाता है।

कानून का उल्लघंन

देश के खाद्य अपमिश्रण कानूनों के तहत इन सभी रसायनों पर प्रतिबंध है और अनुमति वाले रसायनों की मात्रा भी निर्धारित है। किंतु इन कानूनों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।

भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कीटनाशक उत्पादक देश है। हमारे देश में 100 से भी ज्यादा प्रतिबंधित कीटनाशक खुलेआम बिक रहे हैं ।

अनेक बीमारियों का मूल

इन घातक रसायनों के प्रभाव से न केवल सब्जियों व फलों का मूल सुगंध और स्वाद बदल गया है बल्कि स्लो पॉयजन से अनेक बीमारियां भी हो रही हैं जैसे ब्लड प्रेशर, मधुमेह, लीवर व आंत संबंधित, प्रजनन संबंधी, असमय बुढ़ापा, नर्वस डिसऑर्डर्स आदि।
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कैसे बच पाएंगे इस दुष्चक्र से ?

पहले खेत में फलों और सब्जियों को रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग से तैयार किया जाता है, फिर मुनाफे के लिए ऑक्सीटॉसिन का इंजेक्शन लगाकर सब्जियों का वजन और आकार बढ़ा दिया जाता है। फिर उनको आकर्षक दिखाने के लिए रंग चढ़ा दिया जाता है। बासी को ताजा दिखाने के लिए भी घातक केमिकल्स का इस्तेमाल करते हैं। फलों को समय से पहले पकाने के लिए कार्बाईड है ही। अब बताइए कैसे बच पाएंगे इस जानलेवा दुष्चक्र से ?

क्या करें ?

आइए हम सब इस घातक धीमे जहर को नजरअंदाज न करें, और व्यवस्था पर दबाव बनाएं कि वह अपनी नीतियों का पुनरावलोकन करे और खेती में ऐसे तौर-तरीकों को बढ़ावा दे जो सेहत व पर्यावरण के अनुकूल हों। इसी से हम सब सुरक्षित, सशक्त व रोगमुक्त रहेंगे।

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