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रेबीज कुत्तों में पागलपन का रोग

रैबीज कुत्तों में पागलपन का रोग)imgरेबीज के हिंदी नाम

हिन्दी में इसे जलोतक, हड़किया, पागलपन तथा अंग्रेजी इसे हाइड्रोफोबिया या रेबीज कहते है।

भयंकर बीमारी 100% जानलेवा

रेबीज वो भयंकर बीमारी है जो 100 प्रतिशत जानलेवा है। आमतौर पर मानव के शरीर में रैबीज के विषाणु रेबीज से संक्रमित किसी जानवर द्वारा काटे जाने से पहुँच जाते हैं। एक बार इन कीटाणुओं के आदमी या किसी जानवर की मस्तिष्क में घुस जाने के बाद मृत्यु निश्चित है।

बीमारी रोकने के आसान उपाय

लेकिन आसान से उपाय इस बीमारी को शुरू होने से पहले ही रोक सकते हैं। ये उपाय याद रखे जाने चाहिए और किसी भी जानवर द्वारा काटने पर इन कदमों को तुरन्त उठाया जाना चाहिए। यही है रैबीज के विरुद्ध हमारी एकमात्र सुरक्षा।

मानव तक कैसे होता है प्रसार

मानव के शरीर में रेबीज किसी जानवर के काटने पर उसकी लार के जरिए या किसी खुले घाव के स्पर्श में आ जाने से पहुँचता है।

जानवरों में रेबीज होने के लक्षण

जानवर को रेबीज होने के विशेष चिन्ह है उसकी लार बहना, मुँह खुला रखना, पूँछ सिमिटी होना, उसकी आवाज के स्वर में बदलाव और कानों का असामान्य ढंग से लटक जाना आदि। कभी-कभी स्वस्थ दिखने वाले जानवर भी रेबीज के शिकार हो सकते हैं।

कुत्तों में पागलपन का रोग रैबीज)imgकौन से जानवर हैं जिम्मेदार

गर्म खून वाले सभी जानवर, कुत्ते, बिल्लियों, बन्दर आदि रेबीज फैला सकते हैं । इसीलिए इन जानवरों से तथा खास तौर पर आवारा जानवरों से सावधान रहना चाहिए। ऐसे जानवरों द्वारा काटे जाने को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

रेबीज संक्रमित जानवर दो प्रकार के

यह रोग मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं- प्रथम उग्र अवस्था में भयानक हो जाता है। दूसरा रोगी पशु शांत व गूंगा हो जाता है।

रेबीज रोग की तीन अवस्थाएं

इस रोग के लक्षण तीन भिन्न-भिन्न स्थितियों में प्रकट होते-प्रथम अवस्था में कुत्ते के व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है। इसमें हैं शरीर का तापमान बढ़ जाता है, आँखें ज्यादा लाल नजर आती हैं। दूसरी अवस्था में कुत्ता बेचैन व गुस्सैल हो जाता है, पागल जैसा दिखने लगता है व काटने को दौड़ता है। लकड़ी, कंकड़, पत्थर जो सामने आये मुँह में डालने की कोशिश करता है। यह अवस्था 3 से 7 दिन तक रहती है। इसमें कुत्ता पानी नहीं पीता व लार बहती रहती है। अन्तिम अवस्था में शरीर में लकवा पड़ जाता है व मृत्यु हो जाती है। लक्षण पूर्ण प्रकट होने के तीन दिन के अंदर रोगी मर जाता है।

तुरंत करें उपचार

किसी जानवर द्वारा काटे जाने पर फौरन प्राथमिक उपचार किया जाना चाहिए। चूँकि कुछ रेबीजग्रस्त जानवर 10 दिन से 2 महीने या उससे भी ज्यादा जी सकते हैं, यह देखने के लिए इंतजार मत कीजिए कि जानवर मरता है या नहीं। हो सकता है कि तब तक काटे गए व्यक्ति की जान बचाने के लिए बहुत देर हो चुकी हो। याद रखिए तुरन्त प्राथमिक उपचार और समय रहते वैक्सीनेशन से रेबीज होने का खतरा लगभग हर बार टाला जा सकता है।

रैबीज कुत्तों में पागलपन का रोग Img)imgरेबीज का कैसे करें प्राथमिक उपचार

  • घाय को खूब सारे पानी से धोएँ, घाव पर कोई एंटीसेप्टिक या अल्कोहल लगाएं, घाव को ढ़कें नहीं और न ही उस पर हल्दी, बाम आदि जैसी कोई चीज लगायें क्योंकि इससे कोई फायदा नहीं होता है।
  • प्रत्येक पालतू कुत्ते को एंटी रेबीज टीका लगायें।
  • रोगी पशु के काटने के तुरन्त बाद घाव को साबुन से धोयें जीवाणुनाशक औषधियाँ लगायें।
  • यदि रोगी पशु या कुत्ता, सियार, बिल्ली, बंदर, नेवला, मनुष्य को काट ले तो तुरन्त चिकित्सा करवायें तथा पोस्ट बाईट एंटी रेबीज टीकाकरण करवायें।

पालतू जानवरों के साथ बरती जाने वाली सावधानियाँ

पालतू जानवर आपको प्यार करते हैं और आपको आनंदित करते हैं। आपको भी उनकी ओर पूरा ध्यान दें उन्हें नियमित जाँच और रेबीज वैक्सीनेशन के लिए पशु चिकित्सक के पास ले जाए। उन्हें आवारा जानवरों से दूर रखें क्योंकि वे उनसे संक्रमित होकर यह बीमारी आप तक पहुँचा सकते हैं। अपने पालतू जानवर को स्वस्थ रखिए-रेबीज से बचाव का यह एक महत्वपूर्ण पहलू है।

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