स्टीविया
स्टीविया एक औषधीय पौधा है जिसकी पत्तियाँ चीनी का एक सशक्त विकल्प हैं। स्टीविया से बनी हुयी चीनी सामान्य चीनी की तुलना में कई गुनी मिठासयुक्त, कैलोरीमुक्त एवं पौष्टिक है। यह मधुमेह रोगियों के लिये सुरक्षित व सक्षम विकल्प है। सौ फीसदी प्राकृतिक स्टीविया वजन घटाने में भी सहायक है।
भूमि का चयन
उत्तम जल निकास वाली जीवांशयुक्त बलुई दोमट मिट्टी जिसका पी.एच.मान. 6-8 हो सर्वाधिक उपयुक्त है।
खेत की तैयारी
यह रोपाई के पश्चात् पाँच वर्ष तक काटी जाने वाली बहुवर्षीय फसल है। गहरी जुताई करके प्रति एकड़ 5 टन गोबर की सड़ी खाद मिलाकर दो बार कल्टीवेटर से जुताई कर पाटा लगायें।
प्रजाति
ग्लाइकोसाइट्स की अच्छी पैदावार हेतु एस.आर.वी.-113, एस.आर.वी.-128, एस.आर.वी.-512।
स्टीविया की रोपाई
बीजों का अंकुरण 10-12 प्रतिशत ही हो पाता है अतः टिश्यूकल्चर द्वारा तैयार पौध ही प्रयोग करें। खेत में 20 से 30 सेमी. ऊँची मेड़ें 50-60 सेमी. की दूरी रखते हुये बनायें तथा 40 सेमी. की दूरी पर रखते हुए मेंडों पर रोपाई कर तुरन्त हल्की सिंचाई कर दें। रोपाई अत्यधिक गर्मी ( मई-जून ) एवं अत्यधिक सर्दी ( दिसम्बर-जनवरी) छोड़कर वर्ष भर कर सकते हैं।
सिंचाई
वर्ष भर पानी की आवश्यकता पड़ती है। हल्की एवं नियमित रूप से सिंचाई उपयुक्त होती है।
निराई-गुड़ाई
नियमित अन्तराल पर करते रहें। खरपतवारनाशक रसायन का प्रयोग वर्जित है।
पोषण
10 किग्रा. वर्मी कम्पोस्ट प्रत्येक कटाई के उपरान्त प्रयोग करें।
फूलों को हटाना
प्राकृतिक रूप से फूल आने के पश्चात् स्टीविया की गुणवत्ता में कमी आनी प्रारंभ हो जाती है। ऐसी स्थिति में फूल काट कर फेंक देते हैं और पत्तियों की कटाई कर लेते हैं।
रोग नियंत्रण
फफूँद जनित रोगों का प्रकोप अधिक होता है। नीम के तेल को पानी में मिलाकर छिड़काव करें। बोरॉन की कमी से पत्तियों पर लीफ स्पॉट होता है। 0.6% बोरेक्स का छिड़काव करें। पहली बार रोपाई के 4 माह बाद, फिर प्रत्येक 2.5-3 महीने पर फूल आने से पूर्व कटाई करें। कटाई के उपरान्त डालियों से पत्तियों को अलग कर छाया में सुखाकर (तीन चार दिन तक) नमी रहित स्थान पर सुरक्षित रख दें।
कटाई
उपज व आय
30-40 किग्रा. सूखी पत्तियाँ प्रति वर्ष पाँच वर्ष तक मिलती है जिनका बाजार मूल्य 60-120 प्रति किग्रा. है। इस प्रकार स्टीविया की खेती से आय 1.5-2 लाख रूपया प्रति वर्ष प्रति हेक्टेयर भूमि से प्राप्त हो सकती है।